27 नवंबर 2012
मुम्बई। फिल्मकार करण जौहर का कहना है कि हिन्दी फिल्म उद्योग को कारपोरेट शक्ल देना एक सही कदम हैं और इससे आने वाले सकारात्मक बदलाव बॉलीवुड में लम्बे समय तक बने रहेंगे। करण बीते 18 वर्षो से हिन्दी फिल्म उद्योग का हिस्सा हैं। उन्होंने बताया, "बहुत अधिक बदलाव आ रहे हैं। काम करने के तौर-तरीकों, वातावरण और प्रणाली में काफी बदलाव आया है..मैं समझता हूं कि हमारे अंदर आखिरकार कारपोरेट, संरचना और अनुशासन सम्बंधी समझ आ गई है। मनोरंजन व्यवसाय में यह चीजें अपने ढ़ग से काम करती हैं और यह बदलाव लम्बे समय तक बने रहेंगे।"
करण ने हिन्दी फिल्म उद्योग में सहायक निर्देशक के रूप में प्रवेश किया। वर्ष 1998 में आई 'कुछ कुछ होता है' करण के निर्देशन में बनी पहली फिल्म है। इसके बाद उन्होंने 'कभी खुशी कभी गम', 'कभी अलविदा ना कहना' और 'माई नेम इज खान' जैसी कई हिट फिल्में दी।
'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' उनके निर्देशन में बनी आखिरी फिल्म है। 40 वर्षीय करण यह भी मानते हैं कि फिल्म उसे बनाने वाले की वास्तविकता को दिखाती है।
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